आश्चर्य है, हमने जब प्रश्न किये थे तो विश्वास था कि पृथ्वीभर में कोई इनका उत्तर देने वाला नहीं परन्तु उन्होने क्षणभर में उत्तर दे दिये । उस दिन से हम इनसे अति प्रसन्न हैं । दो महापुरुषों द्वारा एक… Continue Reading →
क्रमित सलाह को मानने के लिए सदा उठत रहते थे, बंगाली भद्रपुरमा का कहना मानका ‘भाण ॥ ध्याऔर अपना स्वीकार किया गया टामीन ऑर्ग नाक स्वामी जय । ।तो बस पहनते से । हमने कारण पूछा है कि उब हम… Continue Reading →
वेदालोचन-रहित संस्कृत शिक्षा से लोग व्यभिचारी तथा हानिकारक हो जाते हैं। दिन मापी जी ।।जीवों में यह भी कहा था कि वेदालोचना-रहित संस्कृत शिक्षा से छ लाभ नहीं है, वह इसे लोग पुराणों केलोगों की कुछ आंखें खुलीं ।उपदेश से… Continue Reading →
कि मैं इस समय और लोगों के साथ बात कर रहे इसलिए में इनको इस उठ जाग ठौकरी ==सुनकर राज साहब स्वयं हो आ गये और कुछ समय पश्चात का उत्पत्ति पर स्वामी जी से प्रस किया।ने उतर दिया परन्तु… Continue Reading →
समस्त श्लोक उपनिषदों के हैं तो वह नाम उपाय नहीं। शो मा rगे । न.’ में समाविष्ट की है। फिर लोग वहां के गानों । ना ।।। महर्षि देवेन्द्रनाथ की खाड़ी में आत्म साधन पा वार्तालाप कला (Tutr FT गिरा… Continue Reading →
,या वसु ने माँ को मूर्तिपूजा का एक दूसरा रूप कहा था। दयानन्द जी ने उत्तर दिया कि ब्रह्म स्मरण करने केजिस कार्य का अनुष्ठान होता है और विशेष रूप से वह जो समस्त जगत् तथा साधारण जनता के सुख… Continue Reading →
म्याना ने कहा कि सांख्य निरीश्वर नही है जो जो लोग रियो बी टीका कर आर Vष्ट लागाकोरी नवे ऐसा समझते हैं. अन्यथा पदो के यो से साकार निरीश्वर पहीं जान पड़ते। हमने पूछाकि क य कसा? ते लगे कि… Continue Reading →
पहले बनारस के सर्वश्रेष्ठ पंडितों को एक सार्वजनिक शास्त्रार्थ में पराजित किया और अपने अन्य कार्यों से पूतोंबडी प्रसिद्धि पाई है कलकत्ता आया है और राजा ज्योतीन्द्र मोशन टैगोर के बाग के बंगले में निनयान नामक स्थान पर उ है।… Continue Reading →
राजा साहब हृदय से ईसाई मत की ओर झुके हुए थे। उनकी रानी की भी यही इच्छा थी कि स्वामी जी अवश्यपति मकान का समुचित प्रबंधन होने से स्वामी जी वहां न गये। भागलपुर में वर्णभेद के रहस्य पर वार्तालापसना… Continue Reading →
पश्चात् हमने उन्हें पांव धुलवा कर रसोई खिलवाई। फिर हम पिता जी को स्वामी जी के पास छोड़कर, वहा सेवेतदूर बरारी में, जहां हम पहले पढ़ते रहे हैं, अपने एक मित्र से मिलने गये । बरारी में हम पण्डित अभयराम… Continue Reading →
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